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    DELHI/NCR

    नव वर्ष पर सतगुरु के आशीष प्राप्त करने उमड़े श्रद्धालु भक्त

    (Mukhi Deepak Kathuria) www.bharatdarshannews.com

    नव वर्ष पर सतगुरु के आशीष प्राप्त करने उमड़े श्रद्धालु भक्त

    प्रेम मानने का सौदा है न की मनवाने का : निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज

    Bharat Darshan New Delhi News, 03 January 2023 : प्रेम मानने का विषय है मनवाने का नहीं, जब हमें यह अहसास हो जाता है तो हम हर प्रकार के बंधनों से मुक्त होकर भक्ति मार्ग पर अग्रसर हो पाते हैं ‘‘ यह उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज द्वारा नववर्ष के पावन अवसर पर बुराड़ी के ग्राउंड नम्बर 8 में आयोजित विशेष सत्संग समारोह में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।

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    वर्ष 2024 के शुभारम्भ पर आयोजित इस सत्संग का लाभ प्राप्त करने हेतु दिल्ली एवं एन. सी. आर. सहित अन्य स्थानों से भी हजारों की संख्या में भक्तगण सम्मिलित हुए और सतगुरु के दिव्य दर्शन एवं पावन प्रवचनों से स्वयं को अभिभूत किया। इस अवसर पर निरंकारी राजपिता रमित जी ने साध संगत को सम्बोधित करते हुए फरमाया कि निरंकार पर हमारी आस्था और श्रद्धा हमारे निजी आध्यात्मिक अनुभव पर आधारित होनी चाहिए, न कि मात्र किसी अन्य के कहने से प्रेरित होकर। सतगुरु द्वारा प्राप्त ब्रह्मज्ञान की दृष्टि से परमात्मा का अंग संग दर्शन करते हुए भक्ति करना ही उत्तम है। सतगुरु सभी को समान रूप से ब्रह्मज्ञान प्रदान कर जीवन मुक्त होने का मार्ग सुलभ करवा रहे हैं और हमें अपने अनुभव, अपनी सच्ची लग्न से ही इसकी प्राप्ति हो सकती है।   सतगुरु माता जी ने नव वर्ष के अवसर पर अपना पावन आशीर्वाद देते हुए समझाया कि अक्सर हम अपने व्यवहारिक जीवन के सीमित दायरे में संकीर्ण और भेदभाव पूर्ण व्यवहार को अपनाते है। इस प्रभाव से ऊपर उठकर तभी जीवन जीया जा सकता है जब हम ब्रह्मज्ञान को आधार बनाकर सब में एक परमात्मा का रूप देखें। हमें अपनी सोच को विशाल करते हुए केवल प्रेम के भाव से ही जीवन को जीना है; तब ही तंगदिली का भाव मन से समाप्त हो पायेगा।प्रेम के भाव का ज़िक्र करते हुए अपने प्रवचनो में सतगुरु माता जी ने कहा कि जब हम इस विशाल परमात्मा से जुड़ जाते है तो फिर कोई बंधन शेष नहीं रहता। इस बेरंगे के रंग से जुड़ने पर भक्ति का ऐसा पक्का रंग हम पर चढ़ जाता है कि हमारी भक्ति ओर सुदृढ़ होती चली जाती है, किन्तु भ्रांति वश हम इस सत्य को भूलकर केवल अपनी ही विचारधारा से दूसरों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं । वास्तविकता तो यही है कि प्रेम मानने का विषय है, मनवाने का नहीं। हमें ब्रह्मज्ञान रूपी चेतनता से ही हर कार्य करना है। सबके लिए मन में प्रेम के भाव को लेते हुए भक्ति भरा जीवन जीना है।अंत में सतगुरु माता जी ने नव वर्ष के अवसर पर सभी के लिए मंगल कामना करते हुए यही आशीर्वाद दिया कि इस नये वर्ष में भी हम सभी का जीवन सेवा, सुमिरण और सत्संग से सजा रहे। नव वर्ष के उपलक्ष्य पर सतगुरु के यह अनमोल वचन वास्तविकता में समस्त मानवता के लिए निसंदेह एक वरदान है।