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    जरूरत से अधिक जल का सेवन सेहत के लिए घातक : डा. परमेश्वर अरोड़ा

    (Kiran Kathuria) www.bharatdarshannews.com

    जरूरत से अधिक जल का सेवन सेहत के लिए घातक : डा. परमेश्वर अरोड़ा

    संयम से करें पानी का सेवनएक बार में अधिक पीएं पानीगर्म करके पीएं पानी

    Palwal News, 17 April 2018 :  जल का अधिक मात्रा में सेवन शरीर को लाभ नहीं, अपितु नुकसान पहुंचाता है। आयुर्वेदिक पद्धति में पेट के रोग जैसे कब्ज व एसिडिटी पाचक अग्नि की मंदता के कारण उत्पन्न होते हैं तथा जल पाचक अग्रि की मंदता का मुख्य कारण होता है। यह विचार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडलिस्ट तथा सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट डा. परमेश्वर अरोड़ा ने लघु सचिवालय में पानी की शरीर को जरूरत विषय पर बोलते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर उपायुक्त डा. मनीराम शर्मा ने बताया कि शरीर में आवश्यकता से अधिक प्रत्येक खाद्य व पेय पदार्थ विष का काम करते हैं। डा. परमेश्वर अरोड़ा ने देश भर में अनेक जगहों पर शरीर को पानी की जरूरत विषय पर लोगों को जागरूक किया है, जिससे काफी लोगों को फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि पानी का जब भी सेवन करें, सेवन से पहले उसे उबाल अवश्य लें।  डा. परमेश्वर अरोड़ा ने कहा कि हमारा शरीर पांच तत्व आकाश, पृथ्वी, वायु, अग्रि व जल से बना है। इन सभी का संतुलन शरीर के लिए लाभदायक हैं। कई बार आसपास लोग प्रचार करते मिलते हैं कि अधिक पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं, जबकि यह केवल भ्रांति मात्र है। असल में पानी का उपयोग शरीर की जरूरत अनुसार ही करना चाहिए। खाने के बीच के समय में कम मात्रा में हल्का गर्म पानी लाभदायक होता है, जबकि पहले व बाद में पानी पीना नुकसानदायक होता है। इसके अलावा कभी भी अधिक ठंडा पानी न पीएं, यह शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है। उन्होंने कहा कि कब्ज व एसिडिटी अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। इनसे बचने के लिए पाचक अग्नि को बढ़ाना जरूरी है। अत्यधिक पानी पेट के सामान्य रोगों को भी कभी न ठीक होने वाले असाध्य रोग बना देता हो। उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व में स्वास्थ्य लाभ के लिए अधिक जल पीने की वकालत की जा रही है, जबकि पौराणिक वेदों एवं आयुर्वेद में अच्छे स्वास्थ्य के लिए न्यूनतम पर्याप्त मात्रा में ही जल पीने को कहा गया है। प्यास लगने पर भी एक साथ अधिक मात्रा में जल पीने की प्रवृति यदि किसी व्यक्ति की है, तो पीया गया जल पित्त एवं कफ रोगों जैसे अपच, आलस्य, पेट का फूलना, जी मिचलाना, उल्टी लगना, मुंह में पानी आना, शरीर में भारीपन और यहां तक की खांसी, जुकाम एवं श्वास के रोग को उत्पन्न करता है। विशेषत: बुखार के रोगी को तो बहुत ही संयम के साथ अल्प मात्रा में बार-बार गरम पानी का ही सेवन करना चाहिए।  आयुर्वेद के अनुसार अधिक जल सेवन से शरीर में पेट के रोग, मधुमेह, रक्तचाप, एवं किडनी इत्यादि से संबंधित अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। अधिक जल सेवन किस प्रकार से शरीर में मधुमेह, रक्तचाप, किडनी की बीमारी इत्यादि में कारण बन सकता है और कैसे शरीर के अन्य अंगो कों नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, इसका ‘जल-अमृत या विष?’ नामक पुस्तक में आयुर्वेदिक एवं आधुनिक आधार पर विस्तार से स्पष्टीकरण दिया गया है। जल समबन्धी अनेकों अति महत्व की बातों का भी पुस्तक में वर्णन किया गया है। 

    सही विधि से लिया गया जल ही अमृत अन्यथा शरीर के लिए घातक

    किसी भी व्यक्ति के लिए प्रतिदिन कितना जल पीया जाए यह निश्चित नहीं किया जा सकता है। यह मात्रा उस व्यक्ति द्वारा उस दिन किये गए शारीरिक परिश्रम, बाहर के वातावरण एवं शरीर की अवस्था के अनुसार प्रतिदिन परिवर्तित होती रहती है। शास्त्रों के अनुसार जल को अकेले लिया जाए या औषधियों से सिद्ध करके लिया जाए, उबाल कर लिया जाए अथवा शीतल लिया जाए, या सिर्फ गरम करके लिया जाए, शरीर की अवस्था के अनुसार ऐसा विचार करके, सही मात्रा में, सही समय पर एवं सही विधि से लिया गया जल अमृत के समान व गुणकारी होता है, अन्यथा शरीर में विषाक्तता को उत्पन्न करता है। मोटे तौर पर किसी भी व्यक्ति को एक दिन में 1.5 से 2 लीटर तक जलीय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जलीय पदार्थो से तात्पर्य-जल दूध, जूस, चाय इत्यादि के सम्मिलित योग से है। जो व्यक्ति 24 घंटे में कम से कम 1/2 लीटर और आदर्श स्थिति में 1 लीटर तक मूत्र त्याग करता है, तो उसके शरीर में जलीय अंश की सही मात्रा में पहुँच रही है, ऐसा माना जा सकता है। आंतों की शुद्धि के लिए प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को प्रात:काल खाली पेट एक गिलास (लगभग 250-300 मिली.) गरम पानी पीना चाहिए। भोजन को पचाने में मदद हेतु भोजन के साथ घूंट-घूंट कर के एक कप गर्म पानी (लगभग 150-200 मिली.) का सेवन करना चाहिए। भोजन के बाद-लगभग हर एक से दो घंटे पर प्यास न लगने पर एक कप गरम पानी (लगभग 150-200 मिली.) पीते रहना चाहिए। प्यास लगने पर अधिकतम 200 मिली (लगभग एक छोटा गिलास) पानी संयम के साथ पीना चाहिए। गर्म पानी या उबाल कर रखा गया (अधिकतम 24 घंटे) पानी पीना श्रेष्ठकर रहता है। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त अंजू चौधरी, एसडीएम सुरेश कुमार चहल, नगराधीश आशिमा सांगवान, सीएमजीजीए अभिनव वत्स, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी दीपक सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।